अतः सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए विश्व समुदाय को खुलकर मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए.
ग्रीष्मकालीन / शीतकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम
राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं, लेकिन उन्हें उनके पद से केवल राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है । राष्ट्रपति इन्हें उसी आधार एवं उसी तरह पद से हटा सकते हैं, जिस प्रकार वे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को हटाते हैं । वे अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को निम्न परिस्थितियों में पद से हटा सकते हैं :
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मानव अधिकार मानव के विशेष अस्तित्व के कारण उनसे संबंधित है इसलिए ये जन्म से ही प्राप्त हैं और इसकी प्राप्ति में जाति, लिंग, धर्म, भाषा, here रंग तथा राष्ट्रीयता बाधक नहीं होती। मानव अधिकार को मूलाधिकार आधारभूत अधिकार अंतरनिहित अधिकार तथा नैसर्गिक अधिकार भी कहा जाता है।
"मानवाधिकारों" को लेकर अक्सर विवाद बना रहता है। ये समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि क्या वाकई में मानवाधिकारों की सार्थकता है। यह कितना दुर्भाग्यपू्र्ण है कि तमाम प्रादेशिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारी और गैर सरकारी मानवाधिकार संगठनों के बावजूद मानवाधिकारों का परिदृश्य तमाम तरह की विसंगतियों और विद्रूपताओं से भरा पड़ा है। किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है मानवाधिकार है। भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है।
किसी भी कंटेंट / सामग्री को किसी भी रूप में कॉपी करना एक गंभीर अपराध है और कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
विगत वर्षों के प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन
यह व्यवस्था निसंदेह मानवता की भलाई के लिए बनाई गई, मगर कई बार व्यक्ति विशेष या दल विशेष के प्रभावों के चलते मानव अधिकार आयोग ने निष्पक्षता से काम नहीं लिया हैं.
इसके बाद के अनुच्छेद दो में कहा गया हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को घोषणा में सन्निहित सभी अधिकारों और आजादियों को प्राप्त करने का हक़ हैं.
उन्हें बुद्धि और अंतरात्मा की देन प्राप्त हैं और उन्हें परस्पर भाईचारे के साथ बर्ताव करना चाहिए.
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